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नीमच 29 जुलाई 2025, जिले में फसल अवधि लगभग एक माह से ज्यादा हो चुकी है। किसानों को सलाह दी गई है, कि फसलों की सतत निगरानी रखते हुए निंदा एवं कीट व्याधि का नियंत्रण करें। यदि सोयाबीन में कीट का प्रकोप दिखाई दे तो किसान भाई नियंत्रण के लिए क्लोरएन्ट्रानिलीप्रोल 18.5 प्रतिशत एस.सी. दवा की 150 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर अथवा पूर्व मिश्रित बीटा सायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड 350 मिली प्रति हेक्टेयर अथवा थायोमिथॉक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 125 मिली प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें। साथ ही मक्का फसल में यदि फाल आर्मी वर्म कीट/इल्ली का प्रकोप दिखाई दे, तो नियंत्रण हेतु इमा मेक्टीन बैजोएट दवा 220 ग्राम प्रति हेक्टेयर अथवा क्लोरएन्ट्रानीलीप्रोल + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन की 200 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें। इसी तरह मूंगफली में सफेद लट नियंत्रण हेतु क्लोथियानीडीन 50 प्रतिशत डब्ल्यू डी जी की 250 ग्राम मात्रा प्रति 1000 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में ड्रेंचिंग करें। मूंगफली में व्याधि नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित टेबुकोनाजोल + सल्फर की 1 किग्रा मात्रा प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करें। उड़द-मूंग या सब्जी कुल की फसलों में जहां रसचूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दे, तो नियंत्रण हेतु डाई मिथोएट 30 प्रतिशत ईसी की 750 मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर के मान से छिड़काव करे। साथ ही खेतों में पानी भरने की स्थिति में जल निकासी की व्यवस्था करें। फलदार पौधों में कीट नियंत्रण हेतु डाईमिथोएट 1.5 मिली एवं कॉपर आक्सीफ्लोराइड 50 डब्ल्यू.पी. की 2.5 ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी के मान से स्प्रे करें। सोयाबीन में जैविक नियंत्रण हेतु 30 से 40 टी आकार की खूंटिया बर्ड परचर खेत में लगाए। कृषि वैज्ञानिक श्री सी.पी.पचौरी ने किसानों को कीट व्‍याधि नियंत्रण के लिए उक्‍त उपाय करने की सलाह दी हैं।